कुछ खाद्य पदार्थों की महंगाई दर कम होने से खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त महीने में मामूली घटकर 6.69 प्रतिशत रही. हालांकि आधिकारिक आंकड़े के अनुसार विनिर्मित उत्पाद महंगे होने से अगस्त में थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति बढ़कर पांच महीने के उच्च स्तर 0.16 प्रतिशत पर पहुंच गई. इससे पहले यह कई सप्ताह शून्य से नीचे रही. राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आंकड़े के अनुसार जुलाई महीने की खुदरा मुद्रास्फीति के आंकड़े को संशोधित कर 6.73 प्रतिशत कर दिया गया है जबकि पहले इसके 6.93 प्रतिशत रहने की बात कही गयी थी. खाद्य वस्तुओं की मुद्रास्फीति अगस्त महीने में मामूली घटकर 9.05 प्रतिशत रही जबकि जुलाई में यह 9.27 प्रतिशत थी. जुलाई के खाद्य महंगाई दर आंकड़े को भी संशोधित किया गया है. पूर्व में इसके 9.62 रहने का अनुमान जताया गया था.
खंडवार देखा जाए तो अनाज और उनके उत्पादों के मामले में महंगाई दर आलोच्य महीने में कम होकर 5.92 प्रतिशत रही जबकि जुलाई में यह 6.96 प्रतिशत थी. मांस और मछली, दूध और उसके उत्पाद तथा दलहन की श्रेणी में मुद्रास्फीति क्रमश: कम होकर 16.50 प्रतिशत, 6.15 प्रतिशत और 14.44 प्रतिशत रही. हालांकि अंडा, फल और सब्जियों की महंगाई दर तेजी से बढ़ी और यह क्रमश: 10.11 प्रतिशत, एक प्रतिशत और 11.41 प्रतिशत रही. ईंधन और प्रकाश श्रेणी में खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 3.10 प्रतिशत रही जो एक महीने पहले जुलाई में 2.80 प्रतिशत थी.
इक्रा की प्रधान अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘‘उपभोक्ता मूल्य सूचंकाक आधारित महंगाई दर अगस्त 2020 में 6.7 प्रतिशत रही जो उम्मीद से ज्यादा है…खाद् वस्तुओं और आवास खंड में महंगाई दर में जो कमी आयी, उसका भरपाई पान, तंबाकू, ईंधन और विविध वस्तुओं के दाम में वृद्धि ने कर दी.” उन्होंने कहा कि स्थानीय स्तर पर ‘लॉकडाउन के करण आपूर्ति लगातार बाधित होने और कुछ क्षेत्रों में भारी बारिश से खाद्य और पेय पदार्थों की मुद्रास्फीति में खास कमी नहीं आयी और उच्च स्तर पर बनी हुई है. नायर ने कहा, ‘‘…अगले महीने सितंबर में इसमें कोई बड़ी कमी की उम्मीद नहीं है. ऐसे में आगामी मौद्रिक नीति समीखा में रेपो दर में कटौती की संभावना कम जान पड़ती है.”
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के आंकड़े के अनुसार अंडा, मांस और मछली की मुद्रास्फीति 6.23 प्रतिशत पर रही. इस दौरान आलू के दाम 82.93 प्रतिशत बढ़े. हालांकि, प्याज 34.48 प्रतिशत सस्ता हुआ. समीक्षाधीन महीने में ईंधन और बिजली की मुद्रास्फीति घटकर 9.68 प्रतिशत रह गई. इससे पिछले महीने यानी जुलाई में यह 9.84 प्रतिशत थी. हालांकि, इस दौरान विनिर्मित उत्पादों की मुद्रास्फीति बढ़कर 1.27 प्रतिशत हो गई, जो जुलाई में 0.51 प्रतिशत थी.