भारत के 1,19,000 बच्चों समेत दुनिया भर में 15 लाख से ज्यादा बच्चों ने कोरोना महामारी  के कारण कम से कम एक माता-पिता, कस्टोडियल दादा-दादी या दादा-दादी को खो दिया है. ये जानकारी द लांसेट में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार साझा की गई है. शोध के मुताबिक करीब दस लाख से ज्यादा बच्चों के माता और पिता में से कोई एक या फिर दोनों की मौत महामारी के शुरुआती 14 महीनों के दौरान हो गई. इसी तरह बाकी के 5 लाख बच्चों ने अपने ही घर में रहने वाले दादा-दादी की मौत देखी है.

शोधकतार्ओं का अनुमान है कि भारत में मार्च 2021 में करीब 5,091 बच्चे अनाथ हुए वहीं अप्रैल 2021 में नव अनाथ बच्चों का ये आंकड़ा करीब 43,139 हो गया. यानी नव अनाथ बच्चों की दर में 8.5 गुना इजाफा हुआ. जिन बच्चों ने माता-पिता या देखभाल करने वाले को खो दिया है, उनके स्वास्थ्य, सुरक्षा पर गहरा अल्पकालिक और दीर्घकालिक प्रतिकूल प्रभाव जैसे कि बीमारी, शारीरिक शोषण, यौन हिंसा और किशोर गर्भावस्था के जोखिम में बढ़ोतरी होने का खतरा है.

इस साल 30 अप्रैल, 2021 तक ये 15 लाख बच्चे दुनिया भर में 30 लाख कोविड-19 मौतों का दुखद परिणाम बन बए.

इन देशों में सर्वाधिक असर

टीम ने मार्च 2020 से अप्रैल 2021 तक कोरोना मृत्यु दर के आंकड़ों और 21 देशों के राष्ट्रीय प्रजनन आंकड़ों के आधार पर अनुमान लगाया है. प्राथमिक देखभाल करने वालों (माता-पिता या संरक्षक दादा-दादी) को खोने वाले बच्चों की सबसे अधिक संख्या वाले देशों में दक्षिण अफ्रीका, पेरू, संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, ब्राजील और मैक्सिको शामिल हैं.

पिता को खोने वाले बच्चों की तादाद ज्यादा

लगभग हर देश में, महिलाओं की तुलना में पुरुषों की ज्यादा मौत हुई थी, खासकर मिडिल एज और वृद्धावस्था में. कुल मिलाकर, अपनी मां को खोने की तुलना में पांच गुना अधिक बच्चों ने अपने पिता को खो दिया. शोधकतार्ओं ने कोविड प्रतिक्रिया योजनाओं में बच्चों की देखभाल करने वालों की मौत के प्रभाव को दूर करने के लिए तत्काल कार्रवाई का आह्वान किया.

Banner Content
Tags: ,

Related Article

0 Comments

Leave a Comment

Recent Posts